की: ओह तुम ! यहाँ कैसे?
की: क्यूँ ! नहीं होना चाहिए था क्या !
की: अरे कैसी बातें करती है यार ! आ बैठ ना ! अच्छा बता क्या खायेगी ! घर की बनी मठरी और नमकीन
है। वो लेगी या कुछ मीठा ! कुछ ले ले इस से पहले कि मैं तेरी ही लेने लगूँ (हँसती है)
की: कुछ भी नहीं ! बस आज आपका दिमाग खाऊँगी।
(दोनों हँस पड़ते हैं)
की: मेरे दिमाग में तो बस्स भूसा भरा है। सारे प्रोफेसर साला यही कहते हैं। हाँ मुझे चख सकती है (आँख मारते
हुए) मैं काफी नमकीन हूँ।
की: (मुस्कुराते हुए मासूम आवाज़ के साथ बोलती है ) जानती हूँ।आप सिर्फ नमकीन ही नहीं कभी-कभी बहुत
मीठी भी हो जाती हो (फ़िर मुस्कुराती है )
की: (शरारती मुस्कराहट के साथ 'की' की आँखों में झाँकते हुए ) अरे अभी तुमने ये मसाला चखा ही कहाँ है
जानेमन !
की: (थोड़ा सा असहज हो जाती है) हम्म
की: (मज़े लेते हुए) क्या हुआ ! डिस्टर्ब हो गयी (खिलखिला के हँस पड़ती है ) अरे डरो मत ! मैं अपने जूनियर्स
का ज्यादा शोषण नहीं करती ('की' की तरफ देख कर शरारती मुस्कराहट बिखेर देती है)
की: (अटकते हुए) न ना नहीं ..दरअसल वो बात नहीं है।
की: अरे घबरा मत ! तू तो मेरी फैवरेट है रे ! (मुस्कुराकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ी हो जाती है)
की: (उसका हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने हाथ में ले लेती है, धीमे से उसे देखती है और फिर अचानक हाथ
को चूम लेती है। दूसरी तरफ 'की' को थोडा अजीब लगता है मगर वो सिर्फ मुस्कुराती है। 'की' थोडा और आगे
बढ़ कर अपने चेहरे को 'की' के करीब ले आती है और 'की' के होठों की तरफ बढ़ती है, 'की' ये देख कर थोड़ा
सकपका उठती है, और खड़ी हो उठती है। दोनों ही चुपचाप और स्तब्ध से खड़े हैं )
की: तू ! ये ! (थोड़ा हैरान-परेशान होते हुए) आई मीन तू !
की: (रुंवासी हो उठती है) माफ़ कीजियेगा ! मुझे लगा (अटकते हुए) आप भी ..दरअसल आप बहुत ज्यादा
अपनी जैसी लगी। आई ऍम ! आई ऍम रियली सॉरी (सिसकते हुए दरवाज़े की तरफ बढ़ती है)
('की' उसका हाथ पकड़ कर रोक लेती है)
की: अरे ठीक है ! कोई बात नहीं ! इधर देख मेरी तरफ ! अगर मैं तेरी जैसी नहीं तो तुझ से बहुत अलग भी तो
नहीं हूँ ना ! कुछ बदला क्या ! मुझे तो नज़र नहीं आता , तुझे आता है !
की: (चुपचाप सर झुका के सिसक रही है )
की: बस नाटक बंद कर अब। बहुत हो गया। ये ले मठरी खा। क्या याद रखेगी कि मुझ जैसी सीनियर भी मिली
थी कभी ! खिला-पिला के तंदुरुस्त कर दूंगी तुझे भी अपनी तरह और फ़िर तेरे घर वाले थैंक यू थैंक यू बोलते
हुए आयेंगे मेरे पास । अच्छा ये नमकीन तेरे लिए डिब्बे में बंद कर के रखी है, रूम पर लेकर जाना और हाँ
खबरदार जो दोस्तों में बाँटी तो ! चल जा अब। नोट्स कल लेकर जाना। ढूँढ कर रखूँगी। ठीक है !
की: (चुपचाप सर हिलाते हुए, हाँ में जवाब देती है और दरवाज़ा खोल कर जाने लगती है, तभी )
की: और सुन ! तुझे तेरी 'बेस्ट फ्रेंड' ढूँढ कर देने की ज़िम्मेदारी भी मेरी है। इस हॉस्टल का सारा बायोडाटा है मेरे
पास (आँख मार कर मुस्कुराते हुए) ज्यादा रिस्क मत लिया कर बुद्धू ! कॉलेज है ये ! समझी ! (उसकी तरफ
देख कर हँसती है )
की: (मुस्कुराते हुए सर हिलाती है।दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलती है। उसे थोड़ा अजीब लग रहा है मगर
अच्छा भी। पहली बार उसने पहल की और फिर अकेले में शर्मिंदा होते हुए हँस पड़ती है)
की: (कमरे के भीतर एक लम्बी साँस भर कर छत की तरफ घूमते हुए पँखे को टकटकी लगा कर देर तक
देखती रहती है, अचानक सब कुछ साफ़ होकर फिर से धुंधला गया है)
की: क्यूँ ! नहीं होना चाहिए था क्या !
की: अरे कैसी बातें करती है यार ! आ बैठ ना ! अच्छा बता क्या खायेगी ! घर की बनी मठरी और नमकीन
है। वो लेगी या कुछ मीठा ! कुछ ले ले इस से पहले कि मैं तेरी ही लेने लगूँ (हँसती है)
की: कुछ भी नहीं ! बस आज आपका दिमाग खाऊँगी।
(दोनों हँस पड़ते हैं)
की: मेरे दिमाग में तो बस्स भूसा भरा है। सारे प्रोफेसर साला यही कहते हैं। हाँ मुझे चख सकती है (आँख मारते
हुए) मैं काफी नमकीन हूँ।
की: (मुस्कुराते हुए मासूम आवाज़ के साथ बोलती है ) जानती हूँ।आप सिर्फ नमकीन ही नहीं कभी-कभी बहुत
मीठी भी हो जाती हो (फ़िर मुस्कुराती है )
की: (शरारती मुस्कराहट के साथ 'की' की आँखों में झाँकते हुए ) अरे अभी तुमने ये मसाला चखा ही कहाँ है
जानेमन !
की: (थोड़ा सा असहज हो जाती है) हम्म
की: (मज़े लेते हुए) क्या हुआ ! डिस्टर्ब हो गयी (खिलखिला के हँस पड़ती है ) अरे डरो मत ! मैं अपने जूनियर्स
का ज्यादा शोषण नहीं करती ('की' की तरफ देख कर शरारती मुस्कराहट बिखेर देती है)
की: (अटकते हुए) न ना नहीं ..दरअसल वो बात नहीं है।
की: अरे घबरा मत ! तू तो मेरी फैवरेट है रे ! (मुस्कुराकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ी हो जाती है)
की: (उसका हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने हाथ में ले लेती है, धीमे से उसे देखती है और फिर अचानक हाथ
को चूम लेती है। दूसरी तरफ 'की' को थोडा अजीब लगता है मगर वो सिर्फ मुस्कुराती है। 'की' थोडा और आगे
बढ़ कर अपने चेहरे को 'की' के करीब ले आती है और 'की' के होठों की तरफ बढ़ती है, 'की' ये देख कर थोड़ा
सकपका उठती है, और खड़ी हो उठती है। दोनों ही चुपचाप और स्तब्ध से खड़े हैं )
की: तू ! ये ! (थोड़ा हैरान-परेशान होते हुए) आई मीन तू !
की: (रुंवासी हो उठती है) माफ़ कीजियेगा ! मुझे लगा (अटकते हुए) आप भी ..दरअसल आप बहुत ज्यादा
अपनी जैसी लगी। आई ऍम ! आई ऍम रियली सॉरी (सिसकते हुए दरवाज़े की तरफ बढ़ती है)
('की' उसका हाथ पकड़ कर रोक लेती है)
की: अरे ठीक है ! कोई बात नहीं ! इधर देख मेरी तरफ ! अगर मैं तेरी जैसी नहीं तो तुझ से बहुत अलग भी तो
नहीं हूँ ना ! कुछ बदला क्या ! मुझे तो नज़र नहीं आता , तुझे आता है !
की: (चुपचाप सर झुका के सिसक रही है )
की: बस नाटक बंद कर अब। बहुत हो गया। ये ले मठरी खा। क्या याद रखेगी कि मुझ जैसी सीनियर भी मिली
थी कभी ! खिला-पिला के तंदुरुस्त कर दूंगी तुझे भी अपनी तरह और फ़िर तेरे घर वाले थैंक यू थैंक यू बोलते
हुए आयेंगे मेरे पास । अच्छा ये नमकीन तेरे लिए डिब्बे में बंद कर के रखी है, रूम पर लेकर जाना और हाँ
खबरदार जो दोस्तों में बाँटी तो ! चल जा अब। नोट्स कल लेकर जाना। ढूँढ कर रखूँगी। ठीक है !
की: (चुपचाप सर हिलाते हुए, हाँ में जवाब देती है और दरवाज़ा खोल कर जाने लगती है, तभी )
की: और सुन ! तुझे तेरी 'बेस्ट फ्रेंड' ढूँढ कर देने की ज़िम्मेदारी भी मेरी है। इस हॉस्टल का सारा बायोडाटा है मेरे
पास (आँख मार कर मुस्कुराते हुए) ज्यादा रिस्क मत लिया कर बुद्धू ! कॉलेज है ये ! समझी ! (उसकी तरफ
देख कर हँसती है )
की: (मुस्कुराते हुए सर हिलाती है।दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलती है। उसे थोड़ा अजीब लग रहा है मगर
अच्छा भी। पहली बार उसने पहल की और फिर अकेले में शर्मिंदा होते हुए हँस पड़ती है)
की: (कमरे के भीतर एक लम्बी साँस भर कर छत की तरफ घूमते हुए पँखे को टकटकी लगा कर देर तक
देखती रहती है, अचानक सब कुछ साफ़ होकर फिर से धुंधला गया है)
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