का (गले की खरांश मिटाते हुए): सो ..कैसा चल रहा है सब ?
की (मुस्कुराते हुए): बढ़िया, आप सुनाइए !
का (वापस मुस्कुराता है): ह्म्म्म ...
का (कॉफ़ी का एक घूँट अन्दर डालते हुए): वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि आप आएँगी, एक बार लगा कि कहीं आप मुझे बेवजह गलत न समझ बैठें ।
आई मीन ..नॉट इन दैट सेंस .. यू नो !
की: (शरारती मुस्कराहट के साथ) घबराइए मत । मैं आपको बिलकुल भी नुक्सान नहीं पहुँचाउंगी।
का (हडबडाते हुए )अरे नहीं-नहीं, वो बात नहीं ...
फिर अचानक दोनों ही एक-दूसरे की तरफ देख कर खिलखिला उठते हैं ।
का: आप बहुत सुन्दर हैं ..सचमुच ! ...आपकी आँखें बहुत गहरी लगती हैं। (फिर थोडा सपाट स्वरों में बोलता है) आई मीन यू लुक हॉट , वैरी हॉट !
की: अब आप मुझे अन्काम्फोर्टब्ल फील करवा रहे हैं ।
का: ओह ! आई ऍम।।आई ऍम रियली सॉरी । मुझे लगा शायद आपको अच्छा लगेगा ये सब सुन कर। मेरा मतलब है कि आप हैं भी सुन्दर ..मगर .. शायद ! ..छोडिये !..जाने क्यूँ आज मैं शब्दों के साथ बहुत गड़बड़ कर रहा हूँ। आप भी सोचेंगी, खामख्वा मुझसे पाला पड़ गया।
की: (चुपचाप उसकी तरफ देखती है)
का (थोडा उदास सा चुप है)
की: वैसे मुझे सचमुच नहीं लगा था कि आप इतना बोलते भी होंगे (धीमे से हंसती है)
का: (चौंकते हुए) हम्म ..ये तो मुझे खुद ही मालूम नहीं था
थोड़ी देर बाद
की: चलें !
अरे वो रहने दीजिये। बिल मैं पे करूंगी।
का: नहीं-नहीं प्लीज ..एक तो वैसे ही दिन बर्बाद किया है आपका ।
कम से कम एक तो तमीज़ का काम कर लेने दीजिये ..कहीं दोस्तों को मालूम चल गया तो क्या सोचेंगे मेरे बारे में ! उफ़ ! (जेब से पैसे निकाल कर बिल की तरफ देखता है, मगर उस से पहले ही 'की' पैसे दे चुकी है, 'का' मायूस होकर टिप के अतिरिक्त पैसे रखता है। दोनों कॉफ़ी शॉप से बाहर निकलते हैं )
की: आप गिटार बजाते हैं ! आई मीन म्यूजिक वगैरह का शौक रखते हैं !
का: (मायूसी से सर हिलाते हुए) जी नहीं
की: ओह अच्छा ! और कोई शौक़ फरमाते हैं जनाब सिवाय क्लास टॉप करने के !
का: (बहुत धीमे-धीमे ) ज़िन्दगी ने कभी इतना सोचने का मौका ही नहीं दिया। बस आँखों के सामने हमेशा एक डेस्क थी, उस पर चार किताबें। यही देखा और इसी को सब कुछ मान लिया। अब कभी-कभी लगता है कि ज़िन्दगी को भरपूर जिया ही नहीं कभी ।
की (हँसते हुए): ये एहसास आपको मुझसे मिलने के बाद हुआ या पहले से ही था !
का (सोचते हुए): अच्छी तरह नहीं मालूम। पहले नहीं लगा मगर अब लगता है कि जीवन में एक 'की' होनी चाहिए।वरना एक कमी सी खलती है। ये भी नहीं मालूम कि ऐसा सचमुच ही लगता है या फिर इसलिए क्यूंकि मेरे आस-पास सभी को 'यही' लगता है हाँ मगर ये भी सच है कि आपसे मिलने के बाद थोड़ा ज्यादा लगने लगा है
की (मुस्कुरा उठती है)
का: एक बात पूंछु आपसे ! क्या मैं सचमुच इतना बुरा हूँ। क्या मुझमें कोई भी खूबी नहीं ! आई मीन ऐसा क्या चाहिए आप लड़कियों को ! (थोडा चिड़ते हुए) आप प्लीज ये बेवजह मुस्कुराना बंद कीजिये। बहुत चुभ रहा है मुझे इस वक़्त !
की: जानते हैं ! आपसे मिलने से पहले बहुत नर्वस थी मैं। मगर अब बड़ी तेज़ हंसी आ रही है। आप कमाल के आदमी हैं (जोर जोर से हँसने लगती है )
का (थोडा मायूस होते हुए) अच्छा इग्नोर किया आपने मेरे सवालों को ।
'की' अब खिलखिला के हँस उठती है, 'का' का हाथ पकड़ कर उसके कंधे पर सर छुपा कर हंसने लगती है। 'का' ये सब देख कर थोडा हड़बड़ा उठता है । फिर 'की' की तरफ देख कर मुस्कुराता है।
थोड़ी देर बाद ..
की: चलो मुझे घर छोड़ दो । इन बातों के लिए तो अब पूरी ज़िन्दगी पड़ी हुई है।